Bhangarh Fort is a world famous Historical Monument in Rajasthan located in Bhangarh is a small City of Rajasthan under Alwar District, India, Lat Long of Bhangarh Fort is 27°5′45″N 76°17′15″E while address of Bhangarh Fort is Gola ka baas, Rajgarh Tehsil, Alwar, Bhangarh, Rajasthan 301410, Bhangarh Fort is only 87 km North East side from Jaipur airport, Bhangarh Fort was originally built by Rajput King of Jaipur Man Singh I for his younger brother Madho Singh I in year 1613, Mansingh 1 was also known as one of Navratns in Akbar, the entire fort is built of Stones and Bricks.
Facts about Bhangarh Fort
Name | Bhangarh Fort |
---|---|
City | Bhangarh |
Address | Gola ka baas, Rajgarh Tehsil, Alwar, Bhangarh, Rajasthan 301410 |
District | Alwar |
State | Rajasthan |
Country | India |
Continent | Asia |
Came in existence | 1613 |
Area covered in KM | NA |
Height | NA |
Time to visit | 10:00 am – 4:30 pm |
Ticket time | NA |
Ref No of UNESCO | NA |
Coordinate | 27°5′45″N 76°17′15″E |
Per year visitors | 50000 year |
Near by Airport | Jaipur Airport |
Near by River | Tons River |
Where is Bhangarh Fort Located in Rajasthan, India
Location of Bhangarh Fort Located in Rajasthan India on Google Map
History of Bhangarh Fort in Hindi
भानगढ़ के किले के इतिहास १७वी शताब्दी से शुरू होता है, इस किले के निर्माण अकबर के नवरत्नों में से एक राजा जयसिंह प्रथम ने अपने भाई माधो सिंह प्रथम के लिए करबाया था, शायद उनको मुगलो के दोगलेपन पर भरोषा था, वो जानते थे की ये कभी भी धोका दे सकते है, सिलिये उन्होंने कई किलो का निर्माण करवाया था जिनमे से भानगढ़ का किला इक है, इसका निर्माण पथ्थर और ईंट की सहयता से करवाया गया था, इस किले में उसे समय २०० परिवारों के साथ १००० से ज्यादा लोगो के रहने के लिए निवास गृहों की व्यवस्था थी।
भानगढ़ का किला राजस्थान में है और तत्कालीन जयसिंह के राज्य जयपुर (वर्तमान में जयपुर जिला) से कुछ दुरी पर है, और अब ये अलवर जिले में भानगढ़ गांव में पड़ता है, ये दोनों ही राजस्थान के जिलों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। , इस किले के कई सारे मंदिर है, हवेलिया है, और किले के चारो तरफ ४ दरवाजे भी भी है जो तत्कालीन मुगलो की सत्ता के आगे नतमस्तक से हुए लगते है, उनके नाम के अनुसार लाहोरी दरवाजा, अजमेरी दरवाजा, फुलबारी दरवाजा और दिल्ली दरवाजा इनके ये नाम भौगोलिक स्थिति के कारण पड़ गए थे, जो जिस तरफ था उसे उस तरह के महँ मुगलिया सल्तनत को सलाम करता हुआ नाम दे दिया गया था।
भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती
भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती, जब राजकुमारी सिर्फ १८ वर्ष की थी तब उनके रूप एवं सौंदर्य की चर्चा सम्पूर्ण भारत में थी, यहाँ तक की कई मुग़ल सेना पति और राजपूत राजा भी उनसे विवाह करने को तैयार थी, परन्तु कहा जाता है उनका ये रूप सौंदर्य ही भानगढ़ के किले के विनाश का कारन बना, इतिहासकार कार सिनहै के अनुसार ये कहानी ज्यादा प्रचिलित है, और इसी का अनुभव लोगो ने किया इसलिए भारतीय पुरातत्व विभाग ने एक सुचना पट्ट भी लगा दिया है जिसमे ५ बजे के बाद किले में रुकना सख्त मना है।
भानगढ़ के किले का भूतिया रहस्य
भानगढ़ के किले में बहुत से पर्यटकों ने ये अनुभव किया की कोई उनको देख रहा है, साथ चल रहा है, उनके कान में कुछ कह रहा है, जब उन्होंने अपना अनुभव स्थानीय लोगो के साथ साँझा किया तो कई कहानिया निकल कर सामने आयी, एक कहानी के अनुसार यह पर एक जॉडर आया जो राजकुमारी रत्नावती के रूप पर मोहित हो गया, उसने राजकुमारी को अपना बनाने के लिए एक छल किया था, राजकुमारी एक दिन बाजार में इत्र लेने के आयी और उस जादूगर ने इत्र को प्रेम विष से बदल दिया जिसे राजकुमारी ने देख लिया, और जब जादूगर वो प्याला दे रहा था तो राजकुमारी ने उसे फेक दिया जो की वही पर एक खम्बे पर गिर गया, और वो खम्बा जादूगर पर मोहित होकर उस पर ही गिर गया, जिससे वो मरने ही वाला था, परन्तु मरते मरते वो श्राप दे गया की १ साल के अंदर ये किला वीरान हो जायेगा और सब मर जायेगे, इसके बाद मुगलो ने इस किले पर हमला कर दिया और राजकुमारी सहित सभी लोग मारे गए, शायद मुगलो के दोगलेपन का अंदाजा सही भी था परन्तु जादूगर का श्राप ले डूबा।