सरनाल का युद्ध वास्तव में एक बहुत ही छोटी से लड़ाई थी जो की अकबर के
गुजरात पर हमले के बीच में हुआ था, १७५२ में, इसमें अकबर जीत गया था, इस युद्ध का अपना ऐतिहासिक महत्त्व इसलिए भी क्युकी इस युद्ध में चंगेजखान के वंशज की सत्ता खत्म हो गयी थी और इस सरनाल के युद्ध का विस्तृत वर्णन अकबरनामा में दिया गया है जो अकबर के नवरत्नों में से एक Abu’l-Fazl ibn Mubarak (अबुल फ़ज़ल इब्न मुबारक ) ने पर्सियन भाषा में लिखी थी.
Quick Facts about Battle of Sarnal
Name | Battle of Sarnal |
In Between | Akbar and Mirza |
Where | Sarnal Near Baroda, during Gurjarat war |
When | 1572 |
Details in | Akbarnama |
Result | Akbar won |
Sarnal ka Yudh Kab Hua tha
अगर हम तत्कालीन इतिहास की बात करें जिसमे सरनाल के युद्ध कर वर्णन है तो वो है अकबर नामा, और इसके अनुसार सरनाल का युद्द १५७२ ईश्वी में हुआ था, इसकी ऐतिहासिक पृस्ठभूमि कुछ ज्यादा नहीं है, बस गुजरात के अमीरो के बीच वर्चस्व की लड़ाई थी जो की अहमद शाह तृतीय और मुह्हमद शाह तृतीय के आपसी कलह जो की उनके सिंघसनारूढ़ होने के कारन बहुत परेशान थे, तो १६७२ में इन अमीरों ने अकबर को निमंत्रित किया था इस मामले में हस्तक्षेत करने के लिए, और अकबर जब मेहसाणा के पास पंहुचा तो कुछ अमीरों ने अकबर से मुलाकात की और सभी जानकारी दी, और उसी समय अकबर को खबर मिली की रुश्तम खान रूमी को इब्राहिम मिर्जा ने धोके से मार दिया, बस इसके बाद अकबर ने इसको सेना के साथ घेर लिया और सरनाल का युद्ध हुआ, इसमें इब्राहिम मिर्जा अहमदनगर से सिरोही भाग गया और अपनी जान बचायी।